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Showing posts from 2023

केर बेर को संग

  बाकी सोसाइटीज का तो मुझे नहीं पता, पर कम से कम हमारे समाज में तो बचपन से लेकर बड़े होने तक हमें भले बनने की शिक्षा दी जाती है , जैसे : कर भला सो हो भला …   As you sow, so shall you reap….   बुरा जो देखन मैं चला …… जो दिल खोजा आपना , मुझ से बुरा ना कोय   वग़ैरा वग़ैरा     हो सकता है ये सब शिक्षाएं कुछ हद तक सही हों , पर इन में उलझ कर अक्सर होता ये है हम पर अच्छा बनने की धुन सवार हो जाती है और अगर हमारे साथ कुछ भी   बुरा हो तो हम ख़ुद को ही दोषी मानने लगते हैं.     ये शायद इसलिए कि किसी ने हमें ये नहीं बताया कि हमारे अच्छा करने से ये गारंटी नहीं मिल जाती कि हमारे साथ कोई बुरा नहीं करेगा. हमारे साथ बुरा करने वाले के पास अपने रीज़न हो सकते हैं , हो सकता है उसमें उसका कुछ फ़ायदा हो , हमसे उसे कुछ jealousy या fear हो , या हो सकता है हमें बुरा-भला कहने से उसकी ईगो satisfy हो रही हो. या ये सब न भी हो तो शायद उसके लिये हम इतने इम्पोर्टेंट ही ना हों , कि वो हमें कुछ भी कहने के पहले दो पल सोचे! अब अगले के पास हमें बुरा ट्रीट करन...

जरूरत नहीं है

  बैंक के कॉल सेंटर्स से हमारे क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने के लिए बिना नागा दिन में चार बार आने वाली कॉल्स से परेशान होकर एक दिन हमने ग़ुस्से में कहा:   मैडम , आप लोग दिन में चार बार कॉल करते हो , और हर बार मैं बताती हूँ कि मुझे लिमिट बढ़ाने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है , फिर आप लोग बार बार कॉल क्यों करते हैं? जवाब मिला:  मैडम, आप मना कर देते हैं तो आपका नंबर दोबारा डाटा बेस में आ जाता है, और आपको कॉल आ जाती है. मैं: मैं बार बार बताती हूँ, मुझे लिमिट नहीं बढ़वानी, मुझे कॉल न करें.    आप मेरी रिक्वेस्ट मान कर   मुझे कॉल करना बंद क्यों नहीं कर देते ? जवाब: मैडम , माफ़ी चाहूँगी ,   हमारे पास ये आपकी ये रिक्वेस्ट मानने का ऑप्शन नहीं है. मैं: फिर मुझे क्या करना होगा ? जवाब: आपको हमारे कॉल सेंटर में कॉल करके या बैंक से   रिक्वेस्ट करनी होगी कि आपको लिमिट बढ़ाने की ज़रूरत नहीं है! वाह! क्या अनोखी प्रॉब्लम है हमारी!   इसी बात पर बचपन में पढ़ा हुआ इब्न-ए-इंशा का लेख “ ज़रूरत नहीं है ” याद आ गया. इंशा साहब की तर्ज़ पर आज ज़रूरत इस बात की ...